
हरिद्वार, 19 नवंबर।
पंतजलि विश्वविद्यालय के प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान संकाय द्वारा 19 नवम्बर को 8वें राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के उपलक्ष्य में गहन, विस्तृत एवं ज्ञानवर्धक एक-दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा की वैज्ञानिकता, उपयोगिता, आधुनिक स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता तथा विद्यार्थियों व समाज को इसके प्रति जागरूक करना था। परिचर्चा का आयोजन विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय की पारंपरिक शैली के अनुरूप वैदिक मंत्रोच्चार से हुई, जिससे वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर गया। इसके पश्चात डॉ. अनिल वर्मा, निदेशक, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान संकाय ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि और इसके राष्ट्रीय महत्व तथा भारत में प्राकृतिक चिकित्सा के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. हरदीप कौर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पंतजलि निरामयम ,औरंगाबाद तथा डॉ. श्रीलोय मोहंती, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, आयुष विभाग, एम्स ऋषिकेश ने प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों, उपचार पद्धतियों, वैज्ञानिक आधार और समग्र जीवनशैली सुधार पर अत्यंत महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।

वक्ताओं ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा मात्र उपचार की पद्धति नहीं, बल्कि जीवनशैली अनुशासन का ऐसा समग्र ढांचा है जो रोगों की रोकथाम, प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और मानसिक-शारीरिक संतुलन को सुनिश्चित करता है। उन्होंने जल-चिकित्सा, मड-थेरेपी, सूर्य चिकित्सा, आहार चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, योग-प्राणायाम जैसे विभिन्न प्राकृतिक उपचारों की व्याख्या करते हुए बताया कि ये विधियाँ न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न रोगों जैसे उच्च रक्तचाप, तनाव, मधुमेह, मोटापा, अनिद्रा आदि में प्राकृतिक चिकित्सा को अत्यंत प्रभावी बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे इस क्षेत्र में अनुसंधान, नए प्रयोगों और स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाएँ। वक्ताओं ने प्राकृतिक चिकित्सा की सामाजिक उपयोगिता और ग्रामीण व शहरी दोनों परिवेशों में इसकी आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंत में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. तोरन सिंह ने मुख्य अतिथियों और आयोजन टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने और स्वस्थ, रोगमुक्त भारत के निर्माण में पतंजलि विश्वविद्यालय लगातार योगदान देता रहेगा।
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निर्विकार, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, परीक्षा-नियंत्रक डॉ. एके सिंह समेत विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारीगण तथा प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान संकाय के सभी शिक्षकगण, कर्मचारीगण और विद्यार्थी उपस्थित रहे।




