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विश्व हिन्दू महासंघ गोरक्षा का तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन संपन्न। 

इंस्पेक्टर नहीं, गो सेवक बनकर कार्य करें - भिखारी प्रजापति  ,गोमाता को राष्ट्रीय माता घोषित करने सहित 15 प्रस्ताव हुए पारित ।

मुरादाबाद/ वाराणसी। विश्व हिन्दू महासंघ के गोरक्षा प्रकोष्ठ के तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने सहित 15 प्रस्ताव पारित कर गोरक्षा की सुरक्षा, संरक्षा और विकास का संकल्प दोहराया गया।

अधिवेशन के मुख्य अतिथि श्री भिखारी प्रजापति, प्रदेश अध्यक्ष विश्व हिन्दू महासंघ ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि गो सेवा योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इस पर हम सभी को कार्य करना है। उन्होंने कहा कि गो रक्षक पहले स्वयं अपने घर पर गाय पाले। उन्होंने बड़े सख्त लहजे में हिदायत दी कि गोरक्षा प्रकोष्ठ के साथी इंस्पेक्टर बनकर नहीं, गो सेवक बनकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि गोरक्षक जान की बाजी लगाकर गायों की रक्षा करते हैं। इस जोखिम भरे कार्य में समाज को उनकी मदद करनी चाहिए।

श्रृंगेरी मठ में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ शुरू हुए तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन में कुल सत्रह सत्रों का सफलता के साथ आयोजन किया गया। प्रथम सत्र उद्घाटन सत्र तथा अंतिम सत्र समापन सत्र के रुप में व्यवस्थित किया गया। इनके अलावा प्रत्येक सत्र में एक-एक प्रस्ताव विचार विमर्श के बाद करतल ध्वनि से पारित किया गया। अधिवेशन में वैदिक साहित्य में गाय की महिमा ,

आजादी के महासमर में मातृशक्ति का योगदान, सरकार का गोपालन हेतु प्रोत्साहन विषयक प्रस्ताव चर्चा के साथ पारित किए गए। भरत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के प्रस्ताव के साथ त्निराश्रित पशुओं से खेती को हो रही हानि संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ। गो पालन से सभी समस्याओं का समाधान, गोशाला स्वावलंबन तथा विकास के साथ ही स्वरोजगार, कुटीर उद्योग का आधार है गाय के प्रस्ताव अधिवेशन में पारित हुए।

बीमार गोवंश पर विशेष ध्यान दिया जाने, गोचर भूमि, हरा चारा, गोशाला, कान्हा उपवन और गोसेवकों को सरकारी मदद जरूरी है, गो सेवा राष्ट्र सेवा, गोमाता को राष्ट्र माता घोषित करने, श्रीकृष्ण जन्मभूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया जाने, एक भारत-श्रेष्ठ भारत तथा धर्मांतरण पर पूरी तरह रोक लगाई जाने संबंधी प्रस्ताव पारित किए गए।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि श्री भिखारी प्रजापति, मातृशक्ति प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती संतोष मिश्रा तथा समस्त अतिथियों का अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर गर्मजोशी से अभिनंदन किया गया। समापन सत्र को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्यानंद गिरी, धर्माचार्य अध्यक्ष डॉ. हरिओम पाठक, दिग्विजय सिंह राना, रुद्र कुमार पाठक, जयशंकर केसरी, विष्णुकांत चौबे, मनोज कुमार प्रजापति, संतोष मिश्रा और प्रवीण दूबे ने संबोधित किया।

सभी वक्ताओं में कहा कि भीषण गर्मी में पानी की व्यवस्था के साथ ही साथ हर बीमार पशु की देखरेख भी करनी है। संभाग प्रभारी मनोज श्रीवास्तव, भगवान सिंह यादव, ज्ञानेंद्र त्यागी, आचार्य विद्यासागर, आशीष अग्रवाल, आशीष राजपूत, आशुतोष ओझा, अमृता श्रीवास्तव, प्रीति आर्य तथा मुकेश गुप्त आदि ने इस बात पर बल दिया कि निराश्रित व बीमार गोवंश की रक्षा करना भी गोरक्षा प्रकोष्ठ का दायित्व है। मंचासीन अतिथियों द्वारा वार्षिक पत्रिका वैष्णवी का विमोचन किया गया।

 

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