गीता भावामृत लोकार्पण पर कृष्ण जन्मभूमि का किया आवाहन।
कमलेश शर्मा को तुलसी सम्मान व कल्पना शुक्ला को रमन लाल अग्रवाल सम्मान। गीता का संपूर्ण भाव सरल भाषा में निहित है गीता भवामृत में - डॉ दिनेश शर्मा,राज्य सभा सांसद।
लखनऊ
रामलीला परिसर ऐशबाग लखनऊ में तुलसी शोध संस्थान द्वारा वार्षिकोत्सव 2024 और गीता के भावानुवाद “गीता भावामृत का लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। मकरसंक्रांति के पवित्र अवसर पर कवि सम्मेलन व गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।अतिथियों के स्वागत व सम्मान के बाद सत्येंद्र आर्य द्वारा गीता भवामृत में लिखित कृष्ण स्तुति का मधुर गान किया गया।कविगोष्ठी में अज्ञानी जी ,तरल जी ,योगेश योगी ,राजेश शुक्ला आदि कवियों ने शिरकत की।कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गीता भवामृत का लोकार्पण रहा।जिसके रचयिता प्रखर वक्ता एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदित्य द्विवेदी “आदित्य” ने की है। गीता भवामृत की विशेषता है की यह भाव प्रधान कृति है,विश्व के सर्वमान्य धार्मिक ग्रंथ श्रीमद भगवतगीता के अनुवाद बहुतायत उपलब्ध हैं पर गीता के मर्म को समझ कर उसका भावानुवाद प्रथम बार गीता भवामृत में किया गया है। घनाक्षरी छंद में रचित ये रचना सरल व सुलभ रूप से से जनमानस को समझ में आने वाली है।रचना का एक आकर्षण इसकी कृष्ण स्तुति भी है जो रचनाकार से लिखते समय प्रभु के वशीभूत होकर अनायास ही रची गई।
पंडित आदित्य द्विवेदी के अनुसार गीता भवामृत की रचना कोविड प्रभावित परिवार के अवसाद से उबरने के लिए गीता पाठ करने के दौरान प्रभु की प्रेरणा का प्रतिफल है।रचनाकार के अनुसार यह रचना सरल भाषा में आम श्रोता और विद्यार्थियों तक के अनुसरण की पुस्तक साबित होगी।जिसके माध्यम से हम जीवन की कई भ्रांतियों और दुविधाओं के हल ले सकते हैं।
पंकज सिंह ,प्रदेश महामंत्री भाजपा गीता को जनसाधारण के अनुकूल बनाने को लेकर रचनाकार को बधाई दी है।
विधायक दीपक बोरा ने गागर में सागर बताते हुए इसे आम लोगों को पढ़ने की सलाह दी।कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन अमरनाथ जी ने किया। परम विद्वान सूर्य प्रसाद दीक्षित जी ने मुख्य वक्ता के तौर पर घनाक्षारी में लिखे हुए इस काव्य को जनमानस में जल्दी लोकप्रिय होने की बात कही और जनता के बहुत काम आने वाला ग्रंथ बताया।कार्यक्रम का कुशल संचालन स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना ने किया।कार्यक्रम में प्रथम बार अतिथियों को कृष्ण जन्मभूमि का स्मृति चिन्ह भेंट कर अब कृष्ण जन्मभूमि का आवाहन किया गया।मयंक रंजन,दिनेश चंद्र अवस्थी, कृपालु महाराज परिषद और प्रेम मंदिर व मनगढ़ के प्रमुख व्यवस्थापक अंशुल गुप्ता, कुमार अनल संस्था के अध्यक्ष हरीश अग्रवाल ,कोषाध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल,कौशिकी दीक्षित,अवधेश त्रिपाठी,सुनील मिश्रा, राजीव बाजपेई पुष्प लता संस्थापक सेंट जोसेफ अकैडमी,पीयूष दीक्षित श्रीमती ममता द्विवेदी ,उर्वशी द्विवेदी ,धवल अस्थाना,सचिन श्रीवास्तव ,श्वेता श्रीवास्तव,शिखा,शिवा,विनीत,दिनेश पांडे,अनूपआदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।



