बहादुरपुर जट हरिद्वार
ग्राम बहादुरपुर जट में रामलीला का मंचन देर रात ग्राम प्रधान राजेश कुमार वर्मा, जिला पंचायत सदस्य सोहनवीर रामलीला के डायरेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान,चदकिरण सिंह के द्वारा फिता काटकर किया गया। ग्राम बहादुरपुर जट्ट में रामलीला का मंचन पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है। जिसमें स्थानीय कलाकार ही रामलीला का मंचन करते हैं। इसी क्रम में बहादुरपुर जट्ट रामलीला समिति के द्वारा रामलीला का मंचन शुरू किया गया। रामलीला के प्रथम दिन सरवन कुमार की लीला का दृश्य दिखाया गया।रावण, कुंभकरण और विभीषण ने भगवान ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने उन्हें मनमानचित वर मांगने को कहा तब रावण ने कहा कि मैं इस संसार में निर्भय होकर जी सकूं और मेरा कोई वध ना कर सके। ब्रह्मा जी ने उन्हें मनवांछित वरदान दिया। कुंभकरण ने 6 माह सोने और 6 माह जागने का वरदान लिया। विभीषण ने ब्रह्मा जी से कहा कि मैं ईश्वर भक्ति में लगा रहूं और मनुष्य मात्र के सेवा करता हूं। मुझे ऐसा कर दो। वरदान पाकर रावण सोने की लंका बनाकर वहां राज्य करने लगा। दूसरी ओर सरवन कुमार अपने माता-पिता को कावड़ में बैठकर उन्हें तीर्थ यात्रा पर ले जाते हैं। घूमते घूमते वह अयोध्या नगरी पहुंच जाते हैं। जहां पर उनके माता-पिता को तेज प्यास लगती है। श्रवण कुमार पानी लेने के लिए नदी पर जाते हैं। जहां पर श्रवण कुमार दशरथ के तीर से घायल होकर प्राण त्याग देते हैं। राजा दशरथ जल लेकर श्रवण कुमार के माता-पिता के पास जाता है। और उन्हें जल पीने को कहता है।

श्रवण कुमार के माता-पिता दशरथ को श्राप देते हैं। कि तुम्हारे चार संतान होगी लेकिन जब तुम मृत्यु शय्या पर होगे तो तुम्हारा कोई भी बेटा तुम्हारे पास नहीं होगा। श्रवण कुमार का अभिनय सागर प्रजापति और दशरथ का अभिनय प्रदीप पाल ने किया रावण का अभिनय ललित चौधरी और ब्रह्मा का अभिनय राकेश कुमार ने किया।रामलीला कमेटी में रामलीला प्रधान धीर सिंह ,ललित कुमार ,अमन कश्यप, शिव चौधरी ,कृष्ण पाल चौधरी, राकेश उर्फ कुकू, जिवेन्द्र तोमर, नितिन शर्मा, रेनू चौधरी ,चंद किरण सिंह ,चीनू चौधरी, मास्टर दिनेश चौहान, वरुण चौहान ,रमेश कुमार, छोटन लाल, निशु ढोलकिया आदि रहे।




