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हरिद्वार धरम नगरी आज खनन नगरी के नाम से विख्यात है क्यों,,? 

हरिद्वार संवाददाता,,,,रणविजय कुमार

खनन के पीछे क्या है सच्चाई,,, क्यों मौन हैँ जिले के जिम्मेदार अधिकारी साथ ही खनन अधिकारी केवल कार्यवाही का हवाला देकर क्यों हो जाते हैँ मौन,देव भूमि उत्तराखंड आज खनन को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है,, राम राज्य का सपना दिखा कर अपने घर नोटों से भरने वाले लोग शायद ये भूल गए हैँ कि अहंकार का विनाश होना तय होता है,, सम्पूर्ण हरिद्वार में बेखौफ़ खनन के लिए तैनात खनन अधिकारी कजीम खान एवम राजस्व से संबंधित अधिकारी आज दिन रात होने वाले खनन को अनदेखा क्यों कर रहे हैँ,,? यह बात आम चर्चा का विषय है,,, क्यों कि नगर निकाय चुनाव में भाजपा कार्यालय के उद्घाटन के समय कार्यालय के सामने से ट्रेक्टर ट्रॉली गुजरते रहे जनता सब कुछ देखती रही,, आज भी नवोदय नगर, सुमन नगर, स्टेट नदी एवम हरिद्वार में खुले आम होने वाला खनन प्रसाशन कि निरंकुशता का प्रमाण है,, परमिसन कितनी जगह का है और वहां से मिट्टी की उठान कितने बीघा जमीन में हुई है यह कोई भी पूछने वाला नहीं है,, परमिसन के नाम पर सीमा से अधिक ज़मीनो की खुदाई कर कुएं बनाने वालों की जाँच होना केवल स्वप्न है,।

,, इसी प्रकार ज्वालापुर के सुभाष नगर के टिहरी विस्थापित से लेकर बाल्मीकि बस्ती तक अवैध खनन के जगह-जगह  रेत, बजरी के स्टॉक बने हुए हैं और सड़कों पर ईंटों के झटे व रेट बजरी से लोग परेशान हैं ।  तेज हवा चलने के दौरान आने जाने वाले लोगों के आंखों में यह रेत डालती है जिससे लोग बहुत परेशान हैं और प्रशासन भी इस तरफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

हम एक पत्रकार होने के नाते न तो किसी के पक्ष में न ही विरोध में,, यदि फिर भी प्रतिशोध वश कोई घटना मेरे यानि लेखक या पत्रकार के साथ कि जाती है तो भारतीय संबिधान के चौथे स्तम्भ कि मर्यादा को रखने हेतु यथोचित कार्यवाही कि जाये,,

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