भारतीय किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हरिद्वार मातृ सदन से हो रहे आंदोलन को दिया पूर्ण समर्थन।
मुजफ्फरनगर
क्रान्ति बुलेटिन ब्यूरो
मुजफ्फरनगर। गंगा की अविरलता और निर्मलता को बचाने के लिए मातृ सदन का संघर्ष और तेज होता जा रहा है। मातृ सदन के स्वामी दयानंद पिछले 10 दिनों से अनशन पर हैं, और उनकी स्थिति गंभीर होती जा रही है। इस आंदोलन को अब संत समाज, किसान संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और बेरोजगार संघ जैसे विभिन्न समूहों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
मुजफ्फरनगर में आयोजित प्रेस वार्ता में टीम अन्ना हजारे के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य और किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता भोपाल सिंह चौधरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वह स्वामी दयानंद की तपस्या और कठिन परिश्रम का संज्ञान लें। उन्होंने कहा, “गंगा को बचाने का यह आंदोलन केवल एक प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। गंगा भारत की आत्मा है और इसकी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाना सरकार का कर्तव्य है।” स्वामी दयानंद, जो पिछले 10 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। भोपाल सिंह चौधरी ने कहा, “स्वामी दयानंद की तपस्या और संघर्ष को अनदेखा करना गंगा और हमारी संस्कृति के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। उत्तराखंड सरकार को तुरंत हर संभव कदम उठाने चाहिए, ताकि गंगा को बचाया जा सके।”
उन्होंने आगे कहा कि वह जल्द ही दिल्ली के सभी सांसदों से मुलाकात करेंगे और उनसे निवेदन करेंगे कि संसद में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया जाए। “गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, धर्म और पर्यावरण का आधार है। इसके विनाश पर चुप रहना देश के लिए विनाशकारी होगा,” उन्होंने कहा।
इस आंदोलन को संत समाज और विभिन्न संगठनों का समर्थन मिल रहा है। भारतीय किसान मजदूर संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम ने कहा, “गंगा की रक्षा करना हर भारतीय का कर्तव्य है। हम इस आंदोलन में मातृ सदन और स्वामी दयानंद के साथ खड़े हैं। यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो हम देशव्यापी आंदोलन करेंगे।”
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के देहरादून जिला अध्यक्ष जसपाल चौहान ने भी आंदोलन में अपनी भागीदारी की घोषणा की। उन्होंने कहा, “गंगा के लिए खनन माफियाओं के खिलाफ लड़ाई में हम पूरी ताकत लगाएंगे। यदि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया, तो कानूनी और आंदोलन दोनों रास्ते अपनाए जाएंगे।”
आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने कहा, “यह केवल उत्तराखंड का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। गंगा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, और इसे माफियाओं के हाथों में सौंपना हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ है। मुख्यमंत्री धामी को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और गंगा को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अवीमुक्तेश्वरानंद ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि गंगा हमारी आस्था का प्रतीक है। “गंगा की पवित्रता को दूषित करना करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं पर हमला है। यदि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो इसका परिणाम उसे भविष्य में भुगतना पड़ेगा।”
भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि जल्द ही दिल्ली में सभी सांसदों से मुलाकात की जाएगी और संसद में गंगा की अविरलता और निर्मलता का मुद्दा उठाने के लिए आग्रह किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार गंगा की रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाती।”

गंगा की अविरलता और निर्मलता को बचाने के लिए मातृ सदन का संघर्ष एक बड़े जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है। स्वामी दयानंद के अनशन ने इस आंदोलन को और अधिक गंभीर बना दिया है। विभिन्न संगठनों, संत समाज और जनसमुदाय के साथ आने से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह आंदोलन और व्यापक और तीव्र हो सकता है।




